में प्रकाशित किया गया था कवितायेँ

जीवन एक डोर 

जीवन

उलझी हुई एक डोर है।

एक तरफ बंधन, मुक्ति दूसरी ओर है।

उलझना

उसका स्वभाव है।

असमंझस का प्रभाव है।

इस उलझी अवस्था का

क्या परिणाम है?

बनेगा या बिगड़ेगा,

इसका कुछ अनुमान है?

निश्चय ही

शुभ संकल्पों से दूरी है।

इसलिए सार्थक जीवन पर

चिन्तन जरुरी है।

संकल्प की पूर्णता में ही

जीवन की सार्थकता निहित है।

संकल्प का जो विकल्प न खोजे,

उसी के जीवन में जीत है।।

 – लखेश्वर चंद्रवंशी ‘लखेश’

नागपुर